क्या चल रहा है?
पिछले कुछ दिनों से सोशल मीडिया और कुछ खबरों में यह दावा किया जा रहा है कि चीन ने ब्रह्मपुत्र नदी का पानी रोक दिया है। यह खबर तब और जोर पकड़ी जब पाकिस्तान से जुड़े कुछ स्रोतों ने भारत में जल संकट की चेतावनी देना शुरू कर दी।
अब, जब बात ब्रह्मपुत्र जैसी बड़ी और अहम नदी की हो, जो खासतौर पर असम और अरुणाचल प्रदेश के लिए जीवनरेखा है, तो चिंता होना लाज़मी है। लेकिन क्या यह डर असली है या बस अफवाहों का नया दौर?
हिमंत बिस्वा सरमा ने दी सफाई
असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा ने इस पर सीधा और साफ जवाब दिया। सोमवार को उन्होंने कहा: “अगर चीन ब्रह्मपुत्र का पानी रोक भी दे, तो अब हम उस पर निर्भर नहीं हैं।”
उन्होंने समझाया कि भारत ने अब अपना जल स्रोत प्रबंधन काफी मजबूत कर लिया है, खासकर बांग्लादेश के साथ बेहतर तालमेल के बाद। “बांग्लादेश के साथ तीस्ता और गंगा को लेकर हुए समझौते के बाद अब हालात काफी बेहतर हैं,” उन्होंने कहा।
सीएम सरमा ने पाकिस्तान पर आरोप लगाया कि वह भारत में डर फैलाने के लिए जानबूझकर चीन को सामने लाकर एक नया संकट खड़ा करने की कोशिश कर रहा है।
क्यों अहम है ब्रह्मपुत्र नदी?
ब्रह्मपुत्र नदी तिब्बत से निकलती है (वहां इसे यारलुंग त्सांगपो कहा जाता है) और फिर अरुणाचल प्रदेश, असम होते हुए बांग्लादेश में जाती है। यह नदी पूर्वोत्तर भारत के लिए खेती, मछली पालन और रोज़मर्रा की ज़िंदगी का अहम हिस्सा है।
लेकिन असली बात यह है — भारत में बहने वाला ज्यादातर ब्रह्मपुत्र पानी भारत के भीतर के स्रोतों से आता है, जैसे भारी बारिश और हिमालयी नदियां। विशेषज्ञ कई बार बता चुके हैं कि अगर चीन ऊपर से नदी को रोक भी दे, तो भारत में बहुत बड़ा असर नहीं पड़ेगा।
पाकिस्तान की इसमें क्या भूमिका है?
यह डर अचानक नहीं आया। रिपोर्ट्स बताती हैं कि पाकिस्तान एक “वाटर वॉर” नैरेटिव गढ़ने की कोशिश कर रहा है, जिसमें वह यह दावा करता है कि भारत चीन की वजह से जल संकट में फंस सकता है।
लेकिन भारत के विशेषज्ञ और नेता इस दावे को पूरी तरह खारिज कर रहे हैं।
सीएम सरमा ने कहा, “पाकिस्तान को भूगोल या ब्रह्मपुत्र की साइंस की कोई समझ नहीं है। वह बस एक नया डर खड़ा करना चाहता है क्योंकि उसे पता है कि यह नदी हमारे लिए भावनात्मक और व्यावहारिक दोनों रूप में बहुत मायने रखती है।”
भारत की जल रणनीति अब पहले से मजबूत
पिछले कुछ सालों में भारत ने खासतौर पर पूर्वोत्तर राज्यों में जल प्रबंधन को लेकर कई मजबूत कदम उठाए हैं। नए जलाशय, अंतर-राज्यीय समझौते और फ्लड कंट्रोल प्रोजेक्ट्स अब इस क्षेत्र को पहले से ज्यादा सुरक्षित बनाते हैं।
साथ ही, भारत और चीन के बीच जल संबंधी डाटा साझा करने के कई समझौते भी हैं। खासकर बाढ़ के मौसम में, यह डेटा ट्रैकिंग भारत को किसी भी बदलाव को पहले से समझने में मदद करता है।
अंतिम बात
तो, क्या चीन ने वाकई ब्रह्मपुत्र का पानी रोका है? सीधा जवाब — नहीं। और अगर कभी ऐसा करने की कोशिश भी होती है, तो भारत पूरी तरह तैयार है। असम के मुख्यमंत्री ने साफ कह दिया है — डरने की कोई जरूरत नहीं है।